शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

एक ‘महान’ क्रिकेटर का आकस्मिक निधन

सुबह के पांच-साढ़े पांच बजे, स्पोर्ट्स शू पहने आगरा के आरबीएस कॉलेज के मैदान के आठ दस चक्कर। फिर, जमकर एक्सरसाइज। और फिर, हाथ में बैट पकड़ने का मौका।

अब सिर्फ याद रह गई है उस क्रिकेट कैंप की। ज़िंदगी के कई क़िस्सों में ये क़िस्सा थोड़ा अलग है। वजह ये कि अगर वो कैंप पूरा हुआ होता,तो शायद ज़िंदगी का रुख कुछ और हुआ होता!

खैर,फिल्म पड़ोसन में बिन्दू के अब्बा ने जैसा कहा है-जब जब जो जो होना होना है,सो सो होगा, सो कुछ और हुआ।

हुआ यूं कि क्रिकेट कैंप में छठे सांतवे दिन ही औरेया के कुछ हमारे मित्र इस “ईर्ष्या में” आगरा के उस कैंप आ धमके कि कहीं पीयूष एक कैंप अटेंड कर ही सचिन तेंदुलकर न बन जाए!

सो जनाब, दो भाई लोग आ धमके। कैंप जारी था। फील्ड के आठ दस चक्कर कर हांफ ही रहा था कि दोनो दोस्त (कृपया दुश्मन पढ़ें) सामने खड़े थे। मुंबई से आया मेरा दोस्त,दोस्त को सलाम करो की तर्ज पर अपन भी दोस्तों के पास जा पहुंचे। बतियाने लगे। उनके कंधों पर हाथ धर खड़े हो गए इस्टाइल में.......

बस,जालिम कोच यह नज़ारा देख भड़क उठा। सीधे बुलाया,और गेट आउट का फ़रमान जारी कर डाला। हमने दो चार बार सॉरी,सॉरी बोला (वैसे,उस वक्त इससे ज्यादा अंग्रेजी आती भी नहीं थी। मेरा पूरा विश्वास है कि अगर चटरपटर अंग्रेजी में मैंने उससे कायदे से माफी मांग ली होती,तो वो बुला लेता) लेकिन उसने नहीं सुनी। अब,ज्यादा सुनने के अपन भी आदी नहीं,सो तीन सॉरी के बाद सीधे बोला....तेरी मां..........

तेल लेने गया कैंप....
(दुश्मन अपनी साज़िश में सफल हुआ। एक महान क्रिकेटर सिर्फ पत्रकार बन कर रह गया)

नोट-वैसे,इस किस्से की याद आज उस वक्त अचानक आ गई,जब क्रिकेट के मुद्दे पर अपने बॉस के साथ मीटिंग में बैठा। 1992 में इस कैंप को अटेंड करने तक मुझे भी हर मैच का लेखा जोखा जुबानी याद रहता था,लेकिन पता नहीं क्यों इसके बाद क्रिकेट में पूरा दिल नहीं रम पाया। हां,अब क्रिकगुरुऑनलाइनडॉटकॉम में रहते हुए फिर क्रिकेट की बारीकियों और उसकी नब्ज पकड़ने की कोशिश कर रहा हूं।

6 टिप्‍पणियां:

Nitish Raj ने कहा…

स्वागत है मियां जी का। आगरा निवासी श्री श्री पीयूष जी ने अपना उपनाम छुपा दिया लेकिन बंधू कब तक बचोगे। हमने तो पहचान लिया। स्वागत है।

asha mishra ने कहा…

aapke blog ke baare me pata nahi tha, lekin avi padhkar bahut maja aya.aage bhi aise interesting posts ka intezaar rahega

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है, नियमित लेखन की शुभकामनाऐं.

Unknown ने कहा…

piysh dada agar aap acche cricketer ban jate toh syad hum ek acchae lekah se nahi mil patae
vasie aapka kisseo ko pada kar maje aa gaye hame aur kisseo kaa intezar rahega
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Unknown ने कहा…

piysh dada agar aap acche cricketer ban jate toh syad hum ek acchae lekah se nahi mil patae
vasie aapka kisseo ko pada kar maje aa gaye hame aur kisseo kaa intezar rahega
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Unknown ने कहा…

piysh dada agar aap acche cricketer ban jate toh syad hum ek acchae lekah se nahi mil patae
vasie aapka kisseo ko pada kar maje aa gaye hame aur kisseo kaa intezar rahega
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